न्याय का सच – एक राजा की अनोखी परीक्षा
प्राचीन समय की एक प्रेरणादायक कहानी बहुत समय पहले, राजा विक्रमादित्य के राज्य में न्याय और सच्चाई को सर्वोपरि माना जाता था। वे हमेशा सही निर्णय लेने के लिए प्रसिद्ध थे। लेकिन वे चाहते थे कि उनके राज्य में भी लोग ईमानदार और न्यायप्रिय बनें। इसलिए उन्होंने एक अनोखी परीक्षा लेने का निश्चय किया। राजा की चुनौती एक दिन राजा ने पूरे राज्य में घोषणा करवाई कि वह एक ऐसे व्यक्ति की तलाश में हैं जो सबसे ईमानदार और न्यायप्रिय हो। उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी यह साबित कर देगा कि वह सच्चा और न्यायप्रिय है, उसे पुरस्कृत किया जाएगा। राज्य के कई लोग इस परीक्षा में भाग लेना चाहते थे, लेकिन राजा ने सिर्फ तीन लोगों को चुना: रघु – एक व्यापारी, जो अपनी बुद्धिमानी और ईमानदारी के लिए जाना जाता था। सुमित – एक गरीब किसान, जिसे हमेशा सच्चा और मेहनती माना जाता था। विकास – एक सैनिक, जो हमेशा देश की सेवा में तत्पर रहता था। अनोखी परीक्षा राजा ने तीनों को बुलाया और कहा, "मैं तुम्हें एक-एक बीज दे रहा हूँ। तुम्हें इसे तीन महीने तक अपने घर में लगाकर उसकी देखभाल करनी है। जो सबसे अच्छा पौधा उ...